रायपुर मीटिंग से धर्मेन्द्र कुमार सिंह की रिपोर्ट

शनिवार, 17 फरवरी 2024 को रायपुर में CML पेशेंटस के लिए द मैक्स फाउंडेशन  और फ्रेंड्स ऑफ मैक्स द्वारा आयोजित पेशेंट सपोर्ट ग्रुप मीटिंग में, स्थानीय सिटी चैप्टर लीडर धर्मेंद्र कुमार सिंह का साक्षात्कार लिया गया और उन्हें अपने विचार साझा करने के लिए कहा गया:

  1. पेशेंट सपोर्ट ग्रुप मीटिंग्स पेशेंटस और करगिवेर्स को कैसे प्रभावित करती हैं, और FOM समुदाय से जुड़ने पर कौन सी भावनाएँ सामने आती हैं?

कैंसर शब्द सुनकर मन में एक ऐसा डर समा जाता है कि लगने लगता कि अब जीवन में कुछ रखा ही नहीं है, यह जीवन का अंत है। महंगा इलाज और उसपर परिवार की देखभाल- यह सब करना आसान नहीं होगा। पर फिर द मैक्स फाउंडेशन और फ्रेंड्स ऑफ़ मैक्स से जुड़ने के बाद यह सब आसान हो जाता  है। इस बिमारी से लड़ने में द मैक्स फाउंडेशन और फ्रेंड्स ऑफ़ मैक्स की महती भूमिका रही है। परिवार समाज भले ही हमें अलग नजरिए से देखता हो पर द मैक्स फाउंडेशन और फ्रेंड्स ऑफ़ मैक्स के रूप में हमें एक नया परिवार मिल गया है । ये सिर्फ संस्था ही नही हैं , ये एक परिवार हैं । हमें अपने आप को इस का सदस्य बनने पर गर्व है। अम्मा का स्नेह हमारे लिए एक उर्जा का कार्य करती है।

2.  अब FOM को पेशेंट सपोर्ट ग्रुप मीटिंग्स करते 20 साल हो गए हैं, रायपुर में यह तीसरी मीटिंग है | आपको क्या लगता है कि मीटिंग्स  कैसे विकसित हुई हैं, डिसकशंस  और वर्कशॉप्स  में आप क्या नए बदलाव देख रहे हैं?

पेशेंट सपोर्ट ग्रुप मीटिंग हम सब के लिए बहुत ही आवश्यक है, इसमें हम सब को शामिल होना चाहिए। इस मीटिंग में हमें अलग अलग जगह से आये पेशेंट से मिलने को मिलता है। उनके अनुभव व इस बिमारी से होने वाली समस्याओं के बारे में जानने को मिलता है। आपस में अनुभव को बांटने से हमें कुछ सीखने सिखाने को मिलता है। मन का डर कम होता है। आपस में डिस्कसन करनें से अनुभवो को साझा करने व परिस्थितियों के अनुसार जीने में मदद मिलती है। मैंने कई मीटिंग्स अटेंड करीं हैं , बैंगलोर और कोलकाता में भी | इस मीटिंग के दुराण किये गयी “Effective Communication in Management of Chronic Diseases” वर्कशॉप एक बहुत नए अंदाज़ में दिखी | पेशेंटस को चार ग्रुप में बांटा गया और अलग अलग टॉपिक्स पर विचार करने को कहा | इसके बाद उन्हें  पूरे ग्रुप के सामने प्रेजेंटेशन करना था| सभी पेशेंटस को इस वर्कशॉप में उत्साह से भाग लेते हुए बहुत ही अच्छा महसूस हुआ |

3. आप भविष्य की मीटिंग्स में क्या देखना चाहेंगे?

निरंतर मीटिंग होते रहना चाहिए। इससे हमें सिखने को तो मिलता ही है पर अलग-अलग डॉ.का परामर्श हमारे लिए संजीवनी का काम करती है। अलग अलग प्रश्न  व विशेषज्ञों द्वारा उनका समाधान बहुत अच्छा लगता है। मीटिंग्स में अगर हम सपरिवार शामिल हो तोह मेरे हिसाब से वह पेशेंटस के लिए बहुत फायदेमंद हो सकता है | पूरा  परिवार एक पेशेंट के संघर्ष व परिस्थितियों से अवगत हो सकता है ।भले ही इसके लिए हमसे सहयोग राशि लिया जाये ,तो भी प्रशंसनीय होगा। 

4.  पेशेंट सपोर्ट ग्रुप मीटिंग्स  के अपने अनुभव में, क्या आप कोई विशिष्ट उदाहरण साझा कर सकते हैं जहाँ आपने किसी मरीज़ पर उल्लेखनीय प्रभाव या सकारात्मक परिणाम (पॉजिटिव आउटकम ) देखा हो? 

बालको मेडिकल सेंटर में आयोजित मीटिंग में परिचय के दौरान पता चला कि मैं यहां सबसे पुराना पेशेंट हूं। मुझे देख कर अन्य पेशेंटो का हौसला बुलंद हुआ होगा। मैंने जब अपना २४ साल अनुभव शेयर किया और बताया कि कैसे में हर काम आराम से कर रहा हूँ | यह सुनकर बाकि पेशेंटस बहुत प्रभावित और प्रेरित हुए । लोगों को मैंने जिंदादिल रहने की सलाह भी दी । लोगों ने मेरा मोबाइल नंबर भी लिया और संपर्क में रहने का वादा किया.। इस मीटिंग के दौरान मेरी मुलाकात एक ऐसे पिता से हुई जिनके 17 वर्षीय बेटे को हाल ही में सीएमएल का पता चला है। पिता ने कहा कि उन्होंने अपने बेटे को नहीं बताया है. मैंने उससे कहा कि वह अपने बेटे को सब कुछ साफ-साफ बता दे और हो सके तो अगली मीटिंग में अपने बेटे को लाने की जरूर कोशिश करे जिससे उसका मनोबल बढ़ने में मदद हो | मैं उनसे मिलने के लिए उत्सुक हूं!